Tuesday, March 24, 2015

चाहे हड्डियों का दर्द हो या पेट में दर्द, फूलगोभी के रस में है इनका समाधान

लाइफस्टाइल डेस्क: सब्जियां सिर्फ लंच और डिनर का स्वाद बढ़ाने के लिए ही नहीं होतीं, बल्कि इनमें कई औषधीय गुण भी होते हैं। अब फूलगोभी को ही ले लीजिए। फूलगोभी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। यह दिल की बीमारियों से बचाती है। यह त्वचा रोग, गैस, बालों के रोग और लगभग हर दर्द से निजात दिलाती है। इसमें न्यूट्रिशन की कोई कमी नहीं है। आज से हम ऐसी ही 7 सब्ज़ियों पर 7 दिनों के लिए सीरीज़ 'सेहत का खज़ाना' चला रहे हैं। इसमें हम सब्जियों जैसे फूलगोभी, बैंगन, कद्दू, फराशबीन, परवल, आलू, तोरी आदि के औषधीय गुणों की बात करेंगे। शुरुआत करते हैं फूलगोभी से।
हड्डियों के दर्द में आराम
फूलगोभी और गाजर का रस समान मात्रा में तैयार कर इसका 1 गिलास प्रतिदिन दिन में दो बार देने से पीलिया ग्रस्त रोगी को फायदा होता है। डांग- गुजरात के आदिवासियों के अनुसार इसी फॉर्मूले को हाथ-पैर और हड्डियों में दर्द की शिकायत करने वाले रोगियों को देने की सलाह देते हैं।

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पेट दर्द में आराम
अगर प्रतिदिन खाली पेट एक कप गोभी के रस का सेवन किया जाए, तो कोलायटिस और पेट दर्द से संबंधित विकारों में आराम मिलता ह
Other Benefits: गठिया रोग में फायदा, न्यूट्रिएंट्स से भरपूर, मसूड़ों की सूजन में आराम, गले की सूजन में आराम, स्किन डिजीज में आराम, कब्ज़ की समस्या से निदान।

आदिवासियों के नायाब नुस्खे छिपे हैं फूलगोभी में:
फूलगोभी संपूर्ण भारत में सब्जी के तौर पर प्रचलित है और इसकी खेती भी लगभग सभी प्रान्तों में की जाती है। हमारे देश की कोई ऐसी रसोई नहीं होगी जहां फूलगोभीना मिले। इसका वानस्पतिक नाम ब्रासिका ओलेरेसिया वेरा बोट्रायटीस है। फूलगोभी को वैसे तो अनेक तरह की स्वादिष्ठ सब्जियों को तैयार करने में इस्तमाल किया जाता है, लेकिन बहुत ही कम लोग इसके औषधीय गुणों से परिचित हैं। अगर आप भी इससे जुड़े पारंपरिक ज्ञान को जानेंगे, तो हैरान हो जाएंगे। चलिए आज जानते हैं फूलगोभी से संबंधित आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान के बारे में।

नोट- फूलगोभी के संदर्भ में रोचक जानकारियां और परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहे हैं डॉ. दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 साल से ज़्यादा भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डांग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहे हैं।

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