पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों के किनारे यूँ ही लग आए कुछ झाड़ीनुमा वनस्पति आपने अवश्य ही देखा होगा। आपने इसे बिना किसी काम की वनस्पति समझकर इसकी ओर अपनी निगाहें फेरना मुनासिब नहीं समझा होगा,लेकिन दो मीटर की उंचाई लिए हुए हलके रोमों सी ढकी इस वनस्पति को लेटिन में वरबेसकम थेप्सस के नाम से जाना जाता है। ओर्नामेन्टल श्रेणी में आने वाली यह वनस्पति ग्रेट-मुलेन या इंडीयन टोबेको या भिखारियों का कम्बल के नाम से जानी जाती है।
इसे सदियों से घरेलु औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है, इसमें पाया जाने वाला कौमेरिन एवं हेस्पेरिडीन नामक रसायन घावों को भरने वाले गुणों से युक्त होता है। विभिन्न शोधों में इसे दर्द निवारक, सूजनरोधी,एंटी-आक्सीडेंट,जीवाणुरोधी ,विषाणुरोधी ,फं गसरोधी प्रभावों से युक्त पाया गया है। इसकी जड़ों एवं पतियों में भी एंटी-सेप्टिक,मूत्रल,कफनि:सारक एवं नर्वाइन टोनिक गुणों से युक्त पाया गया है।
इसे सदियों से घरेलु औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है, इसमें पाया जाने वाला कौमेरिन एवं हेस्पेरिडीन नामक रसायन घावों को भरने वाले गुणों से युक्त होता है। विभिन्न शोधों में इसे दर्द निवारक, सूजनरोधी,एंटी-आक्सीडेंट,जीवाणुरोधी ,विषाणुरोधी ,फं गसरोधी प्रभावों से युक्त पाया गया है। इसकी जड़ों एवं पतियों में भी एंटी-सेप्टिक,मूत्रल,कफनि:सारक एवं नर्वाइन टोनिक गुणों से युक्त पाया गया है।
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