गुप्तकाशी. केदारनाथ मंदिर में करीब 3 महीने बाद बुधवार को पूजा की गई। बुधवार सुबह केदारनाथ मंदिर में सांकेतिक तौर पर प्राण प्रतिष्ठा की गई। जैसे ही बुधवार को सुबह के सात बजे छठी सदी के इस मंदिर के प्रधान पुजारी रावल भीम शंकर लिंग शिवाचार्य ने मंदिर के पट खोले और पूजा करने के लिए गर्भगृह में प्रवेश किया। पूजा और प्रार्थना आज 'सर्वार्थ सिद्धि योग' के अवसर पर शुरू की गई, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। आसपास मौजूद लोगों ने 'हर हर महादेव' के नारे लगाकर 86 दिनों से मंदिर में छाए सन्नाटे को तोड़ दिया।
लेकिन 100 साल में यह पहला मौका था जब पूजा में न तो भक्त शामिल
हुए और न ही स्थानीय तीर्थ पुरोहित। सिर्फ उत्तराखंड सरकार के मंत्री और अधिकारी ही पूजा के साक्षी बनें। हैरान करने वाला तथ्य यह है कि इस वीआईपी पूजा पर 45 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए गए।
16 जून को आई आपदा के बाद से उत्तराखंड सरकार की प्राथमिकता में सिर्फ केदारनाथ मंदिर में पूजा शुरू करवाना ही था। 3 महीने से पूरा प्रशासनिक अमला पूजा की प्लानिंग और तैयारियों में जुटा हुआ था। हालत यह है कि रुद्रप्रयाग के डीएम डी. जावड़कर भी खुद को मंदिर तक ही सीमित किए हुए हैं। वहीं, चार जिलों की पुलिस की तैनाती गुप्तकाशी, सोनप्रयाग और फाटा में इसलिए की गई है ताकि कोई भी मंदिर तक न पहुंच सके। पूजा की जल्दी का नतीजा है कि सोनप्रयाग से गौरीकुंड होते हुए केदारनाथ मंदिर तक जाने वाला पैदल मार्ग तीन महीने बाद भी बंद ही है।
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