Friday, August 23, 2013

चरित्रहीन स्त्री के लिए धर्मग्रंथों में बताई हैं ये सजाएं! जानकर चौंक जाएंगे


धर्मशास्त्रों में स्त्री स्वरूप व चरित्र से जुड़े कई पहलू उजागर हैं, कहीं वह देवियों की अद्भुत शक्तियों व स्वरूप में पूजनीय है, तो दूसरी ओर कई तरह की दानवीय स्वरूपों में स्त्री के विध्वंसक व बुरे चरित्र (ताडक़ा, शूर्पनखा, पूतना आदि) भी सामने आते हैं। असल में इन स्त्री स्वरूपों में यह सूत्र भी छुपे हैं कि जहां एक और स्त्री की शक्ति व सम्मान जीवन सुधार देते हैं, तो गलत आचरण बर्बाद भी कर सकते हैं।  


सांसारिक नजरिए से भी गौर करें तो धर्मग्रंथों में समाज या गृहस्थी का केन्द्र स्त्री ही बताई गई है। फिर चाहे वह मां, पत्नी हो या फिर पुत्री। खासतौर पर बुद्धिमान व सुशील स्त्री घर का सौभाग्य बन जाती है यानी ऐसी स्त्री घर-परिवार के लिए शुभ व लाभ का कारण बनती है, वहीं इसके उलट आचरण दु:ख-दरिद्रता की वजह। 
धर्म के नजरिए से इन वजहों में काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह व मत्सर ऐसे छ: दोष यानी षटविकार है, जिनसे पुरुष ही नहीं स्त्री का चरित्र भी बिगाड़ जाता हैं। संकल्प, संयम और अनुशासन इन दोषों से बचने का उपाय बताया गया है। 


वहीं, इसके उलट इन दोषों के वशीभूत होकर गलत आचरण में डूबी स्त्री के लिए प्राचीन धर्मग्रंथों में कई तरह की सजाएं उजागर हैं। स्त्री की चरित्रहीनता के लिए नियत कई सजाएं कालान्तर में न केवल चौंकाती हैं, बल्कि आज के दौर में स्त्री व उससे जुड़ी सोच में बदलने को भी झकझोरती है

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