WHY SUCH NEWS OF BIG MATTER (RESERVATION - THAT EATS INDIA DEVELOPMENT ONE DAY) HIDES BY MEDIA
राजस्थान हाईकोर्ट ने लोकसभा व विधानसभा सीटों के लिए एससी-एसटी वर्ग का आरक्षण दस साल बढाने को चुनौती देने के मामले में अग्रिम कार्यवाही के लिए केन्द्र व राज्य सरकार को याचिका की कॉपी सुपुर्द करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश अरूण मिश्र व न्यायाधीश महेश भगवती की खण्डपीठ ने योगेन्द्र राठौड व अन्य की याचिका पर यह अंतरिम आदेश दिया। इसी प्रकरण से सम्बन्घित अमरनाथ व अन्य की याचिका भी साथ ही लगी हुई थी।
राठौड व अन्य की याचिका में लोकसभा व विधानसभा सीटों पर एससी-एसटी आरक्षण दस साल बढाने के लिए 1999 में किए 79वें संविधान संशोधन तथा जनवरी 10 में लागू 109वें संविधान संशोधन को चुनौती दी है। वरिष्ठ अघिवक्ता एन.के. मालू, अघिवक्ता शोभित तिवाडी व अन्य ने न्यायालय को बताया कि बिना आंकडे जुटाए 109वें संविधान संशोधन से आरक्षण दस साल बढा दिया है।
इसके कारण 127 लोकसभा व 1180 विधानसभा सीटों पर सामान्य वर्ग के नागरिक चुनाव से वंचित रह जाते हैं। संविधान सभा की बहस में आरक्षण दस साल के लिए देना तय हुआ, जिसके पीछे आरक्षित वर्ग को समुचित प्रतिनिघित्व दिलाने की मंशा थी। बाद में इसे बढाने के लिए किए संशोधन संविधान के मूल ढांचे को बदलते हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 14 व 21 के विपरीत है और चुनाव लडने के सभी के समानता के अघिकार को प्रभावित करता है।
संविधान लागू होने के 60 साल बाद भी इसे बढाना कभी खत्म नहीं करने के समान होगा, आरक्षण की समयावघि बढाने के लिए किया 79वां व 109वां संविधान संशोधन असंवैधानिक है। यह भी गुहार की कि आरक्षण से सम्बन्घित जनप्रतिनिघित्व कानून व परिसीमन कानून के प्रावधान खत्म किए जाएं। न्यायालय ने इस याचिका को सुनवाई के लिए छह सप्ताह बाद लगाने को कहा है
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